कोरोना वायरस: कैसे और कितना प्रभावित होता है हमारा शरीर?

कोरोना वायरस: कैसे और कितना प्रभावित होता है हमारा शरीर?

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस इस समय लगभग 100 से ज्यादा देशों में पैर पसार चुका है। यही नहीं लगातार इसके बढ़ते मरीज को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दी है। वहीं अभी तक इस वायरस की वजह से लगभग 5000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा लगभग 1 लाख 34 हजार से ज्यादा लोग इससे प्रभावित हो चुके है। लगातार इसके बढ़ते प्रकोप को देखकर जहां एक तरफ लोगों में खौफ बना हुआ है। वहीं दूसरी तरफ अभी तक इसका कोई इलाज नही मिल सका है जो और भी डरावना है। लेकिन राहत वाली बात है कि सभी देश इसका इलाज खोजने की कोशिश कर रहे हैं और इससे बचने के उपाय भी लगातार बता रहे हैं।

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वैसे कोरोना वायरस काफी खतरनाक है लेकिन यह वायरस हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है और शरीर में क्या इफेक्ट डालता है यह कोई नहीं जानता, तो आइए जानते आखिर यह वायरस हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है?

आपको बता दे कि कोरोना वायरस के आम लक्षण इस प्रकार हैं- बुखार, खांसी, सांस लेने में परेशानी आदि। यही लक्षण सैकड़ों बीमारियों और फ्लू के हो सकते हैं। फिर कोरोना वायरस अन्य वायरसों और फ्लू से कैसे अलग है? हम आपको कोरोना वायरस से जुड़ी वो सभी बातें बता रहे हैं, जो अब तक वैज्ञानिकों ने खोजी और जानी हैं।

कैसे फैलता है वायरस?

डॉक्टर और एक्सपर्ट की माने तो "ये वायरस उन छोटी-छोटी बूंदों के द्वारा फैलता है, जो संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से निकलती हैं। ये वायरस हवा में तैर सकते हैं और लगभग 1 मीटर की दूरी तय कर सकते हैं। सामने किसी स्वस्थ व्यक्ति के होने पर ये वायरस उसके नाक के रास्ते म्यूकस मेंब्रेन में प्रवेश कर जाते हैं और फिर वहां से गले में पहुंचकर रिसेप्टर सेल्स के साथ जाकर जुड़ जाते हैं। यहीं से सारी कहानी शुरू होती है।

कोरोना वायरस के बाहरी आवरण पर एक खास प्रोटीन होता है, जो सेल मेंब्रेन के साथ जुड़ने में इसकी मदद करता है। इसके बाद जिस तरह से 2 कंप्यूटर आपस में कनेक्ट होने पर एक दूसरे से कोडिंग बदलते हैं, उसी तरह ये वायरस जेनेटिक मैटीरियल को इंसानी सेल्स में भेजने लगता है। ये जेनेटिक मैटीरियल एक्टिवेट उस सेल के मेटाबॉलिज्म पर कब्जा कर लेता है और उसके अपने फंक्शन को बंद करके, उसी की मदद से अपनी संख्या को शरीर में बढ़ाने लगता है।

श्वसनतंत्र को कैसे प्रभावित करता है?

डॉक्टर कहते हैं, "जैसे-जैसे ये वायरस अपनी कॉपीज बनाता जाता है और संख्या बढ़ाता जाता है, वैसे-वैसे ये वायरस अपने आसपास के सेल्स को डैमेज करने लगते हैं। इसलिए आमतौर पर सबसे पहले लक्षण गले के पास देखे गए हैं, जैसे- बार-बार खांसी आना या सांस लेने में परेशानी। इसके बाद ये वायरस श्वसन नली में प्रवेश कर जाता है। जब ये वायरस यहां से बढ़ता हुआ फेफड़ों में पहुंचता है, तो फेफड़ों के म्यूकस मेंब्रेन में सूजन आ जाती है। इस स्टेज में ये वायरस रोगी के लंग सैक्स (छोटे-छोटे छिद्र, जिनसे फेफड़ों में ऑक्सीजन छनकर जाती है) को डैमेज करने लगता है, जिससे रोगी को सांस लेने की तकलीफ शुरू हो जाती है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके साथ ही शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड के निकलने की प्रक्रिया भी बाधित हो जाती है।" इस स्टेज में व्यक्ति को निमोनिया हो सकता है। इस स्टेज में कई मरीजों को वेंटिलेटर में रखने की जरूरत पड़ सकती है। कुछ गंभीर स्थितियों में या बूढ़े लोगों में इस स्टेज में बॉडी का श्वसनतंत्र पूरी तरह फेल हो सकता है और व्यक्ति की मौत हो सकती है।

क्या ये वायरस सिर्फ फेफड़ों को प्रभावित करता है?

डॉक्टर कहते हैं कि ये वायरस नाक के म्यूकस मेंब्रेन से लेकर पेट तक फैल सकता है। कई मामलों में ऐसा भी देखा गया है कि फेफड़ों में वायरस की संख्या शून्य है, यानी बिल्कुल नहीं है, जबकि ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम में पहुंच गए हैं। ऐसे मामलों में मरीज को डायरिया या अपच की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही ये वायरस खून में भी पहुंच सकता है, जिसके कारण बोन मैरो और दूसरे अंगों में भी सूजन आ सकती है। डॉ. विलियम शैफनर के अनुसार ये वायरस हार्ट, किडनी, लिवर जैसे वाइटल अंगों में पहुंचकर सीधे उन्हें डैमेज कर सकते हैं। अभी तक विशेषज्ञों को इस बात का पता नहीं चला कि ये वायरस मस्तिष्क को प्रभावित करता है या नहीं। मगर कुछ वैज्ञानिकों ने कुछ मरीजों के मस्तिष्क में भी इस वायरस के संकेत पाए हैं।

क्या सभी को है कोरोना वायरस से खतरा?

कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले 80% लोगों में बहुत सामान्य लक्षण देखे गए हैं, जबकि 20% लोग गंभीर रूप से बीमार हुए हैं। केवल 2-3 प्रतिशत लोगों की ही इस वायरस के कारण मौत दर्ज की गई है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ये इस बात पर निर्भर करता है कि वायरस की चपेट में आने वाले व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कितना कमजोर है। बूढ़े लोग, जिन्हें डायबिटीज या कोई क्रॉनिक बीमारी है, उनमें इसके लक्षण खतरनाक हो सकते हैं।

(साभार- दैनिक जागरण)

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